(शिवांग चतुर्वेदी)। अगर आप रेलवे या अन्य किसी भी केंद्र सरकार के विभाग में कार्यरत हैं, तो यह खबर आपसे जुड़ी हुई है। ऐसा इसलिए क्योंकि केंद्र सरकार ने हाल ही कर्मचारियों की पेंशन से जुड़े मुद्दे पर एक अहम फैसला लिया है जिससे पेंशन स्कीम से वंचित रेल कर्मचारियों और अधिकारियों को फायदा होगा।
मामला ऐसे कर्मचारियों का है जिनकी नियुक्ति तो एक जनवरी 2004 के बाद हुई थी, लेकिन उनके चयन की प्रकिया से जुड़े सभी कार्य एक जनवरी 2004 से पूर्व ही पूरे कर लिए गए थे। अब ऐसे सभी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन स्कीम में पंजीकृत कर लिया जाएगा। यानी इन्हें ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) का फायदा मिल सकेगा। गौरतलब है कि इस अवधि में रेल मंत्रालय ने बड़ी संख्या में भर्तियां की थीं। विभिन्न जोन में देशभर में करीब 2.50 लाख नियुक्तियां इस दौरान की गई थीं।
न्यायालय के एक निर्णय की अनुपालना में रेलवे बोर्ड ने यह निर्णय लिया है। इसके तहत जिन कर्मचारियों का पैनल एक जनवरी 2004 को फाइनल हो चुका था, उन्हें पुरानी पेंशन स्कीम के लिए पंजीकृत किया जाएगा। इस निर्णय से यह माना जा रहा है कि रेलवे प्रशासन ने नियुक्ति देने में देरी की थी, जिसकी वजह से कर्मचारी पुरानी पेंशन स्कीम के फायदे से वंचित चल रहे थे।
एनडब्ल्यूआरईयू के मंडल मंत्री मुकेश चतुर्वेदी और जोनल संयुक्ति सचिव सुभाष पारीक ने बताया कि ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के महामंत्री एसजी मिश्रा व सहायक महामंत्री मुकेश माथुर भी रेलमंत्री और रेलवे बोर्ड अध्यक्ष से लंबे समय से इसकी मांग कर रहे थे। अब उत्तर पश्चिम रेलवे के मुख्यालय और जयपुर सहित चारों मंडलों के कार्मिक विभाग ने इसकी कवायद शुरू कर दी है। गौरतलब है कि इससे एक तरफ जहां राजस्थान (जयपुर, अजमेर, जोधपुर, बीकानेर और कोटा मंडल) के 10 हजार रेलकर्मी लाभान्वित होंगे। वहीं दूसरी तरफ रेलवे की ऑल इंडिया सर्विसेज व एससीआरए के अधिकारियों को भी लाभ मिलेगा।
सरकार ने घटाई एनपीएस से 4 फीसदी हिस्सेदारी
कोरोना के चलते केंद्र सरकार ने वित्तीय स्थिति का हवाला देते हुए कर्मचारियों की एक और लाभ को कम कर दिया है। जिसके तहत केंद्र सरकार ने एक जनवरी 2004 के बाद सेवा में आए अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों सहित सभी कर्मचारियों की न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस) में अपनी हिस्सेदारी 14 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी कर दी है, यानी सरकार ने अपना चार फीसदी अंशदान घटा दिया है।
इसका सीधा असर 15 लाख केंद्रीय कर्मचारियों की भविष्य निधी की राशि पर पड़ेगा। यह आदेश केंद्र सरकार की समस्त स्वायत्तशासी संस्थाओं के कर्मचारियों पर भी लागू होगा। यह व्यवस्था अग्रिम आदेश जारी होने तक लागू रहेगी। गौरतलब है कि डीए पर 1 जनवरी 2021 तक रोक लगने के बाद यह सरकार का कर्मचारियों को दूसरा बड़ा झटका है।
ऐसे समझे बदलाव को
रेल मामलों के जानकार डीपी मिश्रा ने बताया कि मान लीजिए एक कर्मचारी का वर्तमान मूल वेतन 50 हजार रुपए है। अभी तक एनपीएस स्कीम में कर्मचारी का हिस्सा 10% के हिसाब से 5 हजार रुपए और नियोक्ता के अंशदान के रूप में सरकार 14% के हिसाब से सात हजार रुपए जमा करती थी। नए आदेश के हिसाब से कर्मचारी और नियोक्ता की हिस्सेदारी 10-10 फीसदी होगी, यानी कर्मचारी का सीधा नुकसान हर महीने 2 हजार रुपए का होगा।
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