फेसबुक ने एक 'ओवरसाइट बोर्ड' बनाया है। इसमें पूर्व प्रधानमंत्री, नॉबेल शांति पुरस्कार विजेता, कानून विशेषज्ञों, प्रोफेसर और पत्रकार समेत 27 देशों के 20 सदस्य होंगे। बोर्ड में भारत के सुधीर कृष्णास्वामी भी शामिल किए गए हैं। वे बेंगलूर स्थित नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया के कुलपति हैं।कंपनी ने बुधवार को बताया कि यह एक स्वतंत्र बोर्ड है।
इसके सदस्य फेसबुक और इंस्टाग्राम पर पोस्ट किए जाने वाले आपत्तीजनक कंटेट पर नजर रखेंगे। यह मुख्य तौर पर नफरत भरे भाषणों, प्रताड़ना और लोगों की सुरक्षा से जुड़े पोस्ट्स पर फैसला करेगा। ऐसे मामलों में यह कंपनी के सीईओ मार्क जुकरबर्ग के फैसलों को भी पलट सकेगा।
कौन-कौनहैं बोर्ड के प्रमुख सदस्य
फेसबुक को अपने प्लेटफॉर्म्स पर पोस्ट किए जाने वाले कंटेट को लेकर कई बार आलोचना का सामना करना पड़ा है। इसे देखते हुए कंपनी ने यह बोर्ड बनाया है। बोर्ड मेम्बर्स में डेनमार्क के पूर्व प्रधानमंत्री हेले थॉर्निंग श्मिट, नॉबेल शांति पुरस्कार विजेता तवाकूल कामरान, पत्रकार एलेन रूसब्रिजर, पाकिस्तान के डिजिटल अधिकारों के वकील निगत डैड, अमेरिका के फेडरल सर्किट के पूर्व जज और धार्मिक आजादी के विशेष माइकल मैककॉनेल, संवैधानिक कानून विशेषज्ञ जैमल ग्रीन और कोलंबिया के अटॉर्नी कैटलिना बोटेरे-मैरिनो प्रमुख हैं।
बोर्ड की नीतियों को कंपनी 90 दिन में लागू करेगी
बोर्ड के सदस्यों की संख्या आने वाले दिनों में बढ़ा कर 40 तक की जा सकती है। ।यह कंपनी को नीतियों के बारे में भी सुझाव देगा। बोर्ड के ऐसे फैसलों को कंपनी 90 दिन में लागू करना होगा। हालांकि कुछ मामलों में कंपनी समीक्षा के लिए 30 दिन मांग सकेगी। शुरुआत में यह ऐसे मामलों को देखेगा जिनमें कंटेट हटाए गए हैं। कंपनी विज्ञापन और फेसबुक ग्रुप से जुड़े कुछ अहम फैसले का अधिकार भी बोर्ड को दे सकता है। कंटेट से जुड़े किसी भी मामले पर यह बोर्ड सार्वजनिक तौर पर जवाब देगा। बोर्ड के 6 साल के काम के लिएफेसबुक ने 130 मिलियन डॉलर (987.61 करोड़ रु.) का फंड बनाया है
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